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सेल्फी क्रेज़: विसुअल कल्चर की दौड़ में जीवन से ज्यादा इमेज को महत्व दे रहे हैं हम

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सेल्फी लेना हम सभी को पंसद है। जीवन के खास पलों की स्मृति को शौकिया तौर पर संरक्षित करना परफेक्ट क्लिक के बिना संभव नहीं है। सेल्फी का ट्रेंड टेक्नोलॉजी के साथ डिजिटल परिदृश्य में तूफानी ताकत की तरह बहुत तेजी से आगे बढ़ चुका है। सेल्फी की शुरुआत स्वयं का पोट्रेट मजेदार ढंग से क्लिक करने के लिये हुई। एक अच्छे और आकर्षक परफेक्ट शॉट और स्वयं के प्रति ध्यान आकर्षित करने की लालसा वाली सोच से सेल्फी का तरीका ही बदल गया है। अब ये अविश्वसनीय ढंग से एक जोखिम भरा प्रयास बन रहा है। सेल्फी लेना किसे पंसद नहीं है ? लेकिन , यह जरूर ध्यान रखे कि आप अगली सेल्फी क्लिक करते समय जिंदा रहे। जहाँ स्मार्टफोन और सेल्फी स्टिक ने शानदार सेल्फी लेने की राह आसान बना दी है वहीँ इस वजह से अकल्पनीय स्थान जैसे ट्रेन की पटरियों , ऊंची इमारतों और पुलों पर जोखिम के साथ सेल्फी लेने का चलन भी बढ़ा है। यहां तक कि सेल्फी प्रेम के चलते प्रतिबंधित क्षेत्रों तक को नहीं छोड़ा जाता। यही वजह है कि दुनिया में सेल्फी लेने के चक्कर में जान गंवाने वालों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। इसने एक नये शब्द

मस्तिष्क और भावनाओं में तालमेल से सुधर सकता है हैप्पीनेस इंडेक्स

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आर्थिक दृष्टि से सबसे मजबूत माने जाने वाले देशों में भारत की गिनती हो रही है। इस अहम उपलब्धि के बाद भी हम दुनिया की नजर में 'खुशहाल' नहीं है। दरअसल, हमारा 'हैप्पीनेस इंडेक्स' लगातार गिर रहा है। इसमें वर्ष 2013 से लगातार गिरावट आ रही है। इसके मायने यह है कि हम आर्थिक तौर पर मजबूत जरूर हो रहे है लेकिन, मानसिक तौर पर हमारी शांति घट रही है। कुछ न कुछ तो गड़बड़ है जो हमें खुश नहीं होने देती। महात्मा गांधी को शायद इसका अहसास बहुत पहले ही हो चुका था। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि विश्व में हैप्पीनेस इंडेक्स के पायदान पर इराक और पाकिस्तान जैसे देश हमसे बहुत आगे है। यानि इन देशों में लोग भारतीयों की तुलना बहुत ज्यादा खुशहाल है। खुशहाली मापने के लिये 156 देशों का सर्वेक्षण हुआ। इस साल मार्च इसकी रिपोर्ट जारी हुई, जो बेहद चौकाने वाली है। 156 देशों की सूची में भारत का स्थान 140वां है। इससे पहले 2018 में हम 133वें स्थान पर थे। यानि हम सात पायदान लुढ़क गये। इससे पहले वाले 2013 के सर्वेक्षण में भी हम लुढ़ककर 122 पर आये थे। इधर, ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान

खुशी, स्वास्थ्य और लम्बी आयु के लिए अपने मस्तिष्क की शक्ति को बढाएं, ऐसा आप कैसे कर सकते हैं

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आप नास्तिक हो सकते हैं मानव जीवन की उत्पत्ति को लेकर आपका दृष्टिकोण अलग हो सकता है। लेकिन इस बात से आप जरुर सहमत होंगे कि मानव शरीर प्रकृति का सबसे विकसित और अद्भुत निर्माण है। मानव मस्तिष्क, शरीर का मुकुट और गहना है, जो इस रहस्यमयी ऑटोमैटिक सिस्टम का एकमात्र नियामक है। सामान्य भाषा में हम इसे एक सुपर कंप्यूटर के रूप में वर्णित करते है, जो गतिशील डेटाबेस को एक सुरक्षित हड्डीदार कक्ष में स्टोर करता है। हमें इस बात से अवगत होना चाहिए कि कुछ सद्गुण जन्म के साथ ही संघर्ष के लिए तैयार होते हैं, जबकि दूसरों को विकास के माध्यम से सीखा जाता है और संज्ञानात्मक रूप से विकसित किया जाता है। 20वीं शताब्दी के शुरुआती दौर के कठोर मस्तिष्क से न्यूरो सांइस (तंत्रिका विज्ञान) ने एक लंबा रास्ता तय कर लिया है, जो खुद को फिर से तैयार करने में सक्षम है। इससे अराजकता और मस्तिष्क की गतिशीलता की बेहतर समझ के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ है और साथ ही वर्तमान क्षमता के साथ गुणवत्ता स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए स्वयं को फिर से तैयार करने के प्रति सचेत हुआ। मानव मन वैज्ञानिकों और दार्शनिकों दोनों